हर पल मेरी यादों में आने लगे थे। नए-नए उम्मीदें जगाने लगे थे। हसरत जो दिल के पूरी हो नहीं सकती। वैसे ख्वाब दिखाने लगे थे। हां, तुम मुझे अपना सा लगने लगे थे। हां, तुम मुझे अपना लगने लगे थे। शायद इसीलिए मैं तुम में उलझती गई थी। जो मेरे दिल में ना था, वह बार-बार पूछ कर तुम मेरी उम्मीदों को बढ़ाने लगे थे। इसीलिए तुम मेरे ख्यालों में आने लगे थे। ख्याल न जाने कब एहसास में बदल गई, मुझे पता न था। मुझे लगा यह गलत है इसीलिए अपनी एहसासों को मैं दबाने लगी थी। हां, तुम मुझे अपना सा लगने लगे थे। हां, तुम मुझे अपना लगने लगे थे। शायद इसीलिए मैं तुम में उलझती गई थी। मुझे तो खुद अपने एहसासों की खबर ना थी। जब तक खबर हुई तब तक शायद तुम बदल गए थे। जितना मैं तुम्हें समझने की कोशिश करती गई। उतना ही तुम मुझे उलझाते गए जाने क्यों तुम में मुझे सच्चाई दिखी ही नहीं? इसलिए मैं मजबूर हो गई थी। तुम जैसे झूठे से मैं दूर हो गई। हां, तुम मुझे अपना सा लगने लगे थे। हां, तुम मुझे अपना लगने लगे थे। शायद इसीलिए मैं तुम में उलझती गई थी। Har pal meree yaadon mein aane lage the. nae-nae ummeeden jagaan...
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